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सोमवार, 17 अगस्त 2020

शाकाहारी या मांसाहारी इनमे से क्या है मानव जाति ? ( VEGETARIAN OR NON-VEGETARIAN WHICH OF FOLLOWING IS MANKIND ? ) - UNIQUE HINDI POST


शाकाहारी या मांसाहारी इनमे से क्या है मानव जाति ? ( VEGETARIAN OR NON-VEGETARIAN WHICH OF FOLLOWING IS MANKIND ? )



मनुष्य शाकाहारी है या मांसाहारी ( IS MAN A VEGETARIAN OR A NON-VEGETARIAN )


जब भी यह प्रश्न किसी व्यक्ति को आता है तो वह बहुत सोच मे पड जाता है की मानव जाति शाकाहारी है या मांसाहारी और वह इसका उत्तर खोजने लग जाता है लेकिन जब वह इसे खोजता है इंटरनेट पर तो उसे मिश्रित लेख मिलते है जैसे की कुछ लेख मे लिखा होता है की अथवा कई लोग कहते है की मानव जाति मांसाहारी है क्योंकी उसके नुकिले दांत है और मांसाहारी प्राणियो के दांत नुकिले होते है क्योंकि उन्हे मांस को फाडकर खाना पडता है इसलिए और कही-कही आपको यह बताया जाता है की मानवो मे शाकाहार और मांसाहार करनेपर दोनो मे अंतर बताया जाता है जिसमे बताया गया होता है की शाकाहार खानेपर मानवो को बिमारिया आदि कम होती है और मांसाहारा करनेपर मानव को कई बिमारियो का खतरा बन जाता है

लेकिन हम आपको इसके बारे मे बाद मे बताएंगे की शाकाहार करनेवाले मानवो के शरीर और मांसाहार करनेवाले मे से कौन सबसे श्रेष्ठ होता है और किसका आहार करना श्रेष्ठ होता है यह बाते हम आपको अगले लेख मे बताएंगे। आज हम आपको बताएंगे की मानव शाकाहारी है या मांसाहारी तो इसे जानने का एक सर्वोत्तम उपाय शरीर की बनावट है क्योंकी शाकाहारी प्राणियो की बनावट अलग होती है और मांसाहार करनेवाले प्राणियो की बनावट अलग होती है इसके लिए हम आपको नीचे एक तालिका दे रहे है जिसमे शाकाहारी प्राणियो की बनावट और मांसाहारी प्राणियो की बनावट के बारे मे अंतर स्पष्ट किया गया है :-

शाकाहारी और मांसाहारी प्राणियो के बनावट अथवा दोनो मे अंतर स्पष्ट की गई तालिका :-



क्रमांक

शाकाहारी प्राणियो की बनावट

मांसाहारी प्राणियो की बनावट

1

आंखे लम्बी होती है, अंधेरे मे चमकती नही और अंधेरे मे देख नही सकती अथवा जन्म के साथ ही खुलती है।

आंखे गोल होती है, अंधेरे मे देख सकती है और अंधेरे मे चमकती है अथवा जन्म के 5-6 दिन बाद खुलती है।

2

सूंघने की शक्ति कम होती है मांसाहारियो के मुकाबले

सूंघने की शक्ति बहुत अधिक होती है

3

बहुत अधिक आवृत्तिवाली आवाज को नही सुन पाते है।

बहुत अधिक आवृत्तिवाली आवाज को सुन लेते है।

4

दांत और दाढ दोनो होते है, चपटे होते है अथवा एकबार गिर जाने के बाद दोबारा आते है।

दांत नुकीले होते है। सारे मुह मे दांत ही होते है अथवा एकबार ही आते है।

5

ये भोजन को पीसते है, तो इसलिए इनका जबडा ऊपर-नीचे अथवा दाए-बाए भी चलता है।

मांस को फाडकर निगलते है इसलिए इनका जबडा ऊपर-नीचे चलता है।

6

भोजन करते समय एकबार भोजन मुह मे लेने के बाद निगलने तक मुह बंद रखते है।

मांस खाते समय बार-बार मुह को खोलते एंव बंद करते है।

7

जीभ आगे से चौडाई मे कम होती है तथा गोलाईदार होती है।

जीभ आगे से चपटी व पतली होती है और आगे से चौडी होती है।

8

शाकाहारी जीवो की जीभपर टेस्ट बड्ज(Taste Buids) की संख्या अधिक होती है(20.000-30,000 की संख्या मे) मनुष्यो की जीभपर इसकी संख्या 24,000-25,000 तक होती है।

मांसाहारी जीवो की जीभपर टेस्ट बड्ज(Taste Buids) कम होते है(500-2000 की संख्या मे) इसकी सहायता से स्वाद का पहचान की जाती है।

9

मुह की लार क्षारीय(ALKALINE) होती है।

मुह की लार अम्लीय(ACIDIC) होती है।

10

पेट की बनावट बहुकक्षीय होती है। मनुष्य का पेट दो कक्षीय होता है।

पेट की बनावट एक कक्षीय होती है।

11

पाचन संस्थान(मुह से गुदा तक की) की लम्बाई अधिक होती है सामान्यत: शरीर की लम्बाई से 5-6 गुणा होती है।

मांसाहारी प्राणियो के पाचन संस्थान(मुह से गुदा तक की) की लम्बाई कम होती है सामान्यत: शरिर की लम्बाई का 2-3 गुणा होती है।

12

शाकाहारी प्राणियो के पेट के पाचक रस मांसाहारीयो के अंतर मे बहुत कम तेज होते है तथा मानवो के पेट के पाचक रसो की सांद्रता शाकाहारियोवाली होती है।

मांसाहारी प्राणियो के पेट के पाचक रस(सांद्र) बहुत तेज होते है शाकाहारियो के मुकाबले इनके पाचक रस 12-15 गुणा ज्यादा तेज होते है।

13

छोटी आंत चौडाई मे काफी कम और लम्बाई मे बडी आंत से काफी ज्यादा लम्बी होती है।

मांसाहारी प्राणियो मे छोटी आंत एंव बडी आंत की लम्बाई-चौडाई मे अधिक अंतर नही होता।

14

शाकाहारी प्राणियो मे किण्वन बैक्टीरिया(Fermentation Bacteria) होते है, जो कार्बोहाईड्रेट के पाचन मे सहायक होते है।

मांसाहारी प्राणियो मे कार्बोहाईड्रेट नही होता,इस कारण मांसाहारीयो की आंतो मे किण्वन बैक्टीरिया नही होते है।

15

आंतो मे उभार व गड्डे(Grooves) अर्थात अंदर की बनावट चूडीदार होती है।

आंते पाईपनुमा होती है अर्थात अंदर से सपाट होती है।

16

शाकाहारीयो के लीवर के पाचक रस मे वसा को पचानेवाले पाचक रस की न्युनता होती है, पित को छोडता है तथा तुलनात्मक आधार मे छोटा होता है।

इनका लीवर वसा और प्रोटीन को पचानेवाला पाचक रस अधिक छोडता है, पित को जमा करता है अथवा आकार मे बडा होता है।

17

शाकाहारी प्राणि मांसाहारीयो के मुकाबले अग्राशय अधिक मात्रा मे एंजाईम छोड्ता है।

इनका अग्राशय कम मात्रा मे इंजाईम छोडता है।

18

खून की प्रकृति क्षारीय(ALKALINE) होती है।

खुन की प्रकृति अम्लीय(ACIDIC) होती है।

19

आंतो मे उभार व गड्डे(Grooves) अर्थात अंदर की बनावट चूडीदार होती है।

आंते पाईपनुमा होती है अर्थात अंदर से सपाट होती है।

20

शाकाहारीयो मे गुर्दे(Kidney) मांसाहारीयो की तुलना मे छोटे होते है।

प्रोटिन के पाचन से काफी मात्रा मे युरिया व युरिक अम्ल बनता है जिसे रक्त से काफी मात्रा मे यूरिया आदि को हटाने के लिए बडे आकार के गुर्दे होते है।

21

शाकाहारीयो मे गुदा के ऊपर का भाग रेक्टम होता है।

इनमे रेक्टम नही होता है।

22

शाकाहारी प्राणियो की पीठ पर भार ढो सकते है।

इनकी रिढ की बनावट ऐसी होती है की पीठ पर भार नही ढो सकते।

23

शाकाहारीयो के नाखून चपटे और छोटे होते है।

इनके नाखून आगे से नुकिले गोल और लम्बे होते है।

24

शाकाहारी प्राणि तरल पदार्थ को घुंट-घुंट कर पीते है।

ये तरल पदार्थ को चाटकर पीते है।

25

शाकाहारीयो को पसीना आता है।

इन्हे कोई पसीना नही आता है।

26

शाकाहारी प्राणियो की बच्चे को जन्म देने का समय 6-18 महिने तक का होता है।

मांसाहारी प्राणि 3-6 महिने मे बच्चे को जन्म दे देते है।

27

ये पानी अपेक्षाकृत ज्यादा पीते है।

ये पानी कम पीते है।

28

शाकाहारीयो श्वास लेने की प्रक्रिया धीमी होती है तथा आयु अधिक होती है।

इनमे श्वास लेने प्रक्रिया तेज होती है।

29

यह जीव थकनेपर मुह खोलकर नही हाँफते और गर्मी मे जीभ बाहर नही निकालते।

यह थकने पर व गर्मी मे मुह खोलकर जीभ निकालकर हाँफते है।

30

शाकाहारी रात को सोते है, दिन मे सक्रिय होते है।

प्राय: दिन मे सोते है, रात को जागते व घुमते-फिरते है।

31

यह अपने बच्चे को नही मारते और बच्चे के प्रति हिंसक नही होते है।

यह क्रूर होते है,आवश्यक्ता पडने पर अपने बच्चे को भी मारकर खा सकते है।

32

यह प्राणि दुसरे जानवरो को डराने के लिए गुर्राते नही है।

यह प्राणि दुसरे जानवरो को डराने के लिए गुर्राते है।

33

शाकाहारीयो मे रिस्पटरो की संख्या कम होती है।

इनमे रिस्पटरो की संख्या अधिक होती है, जो ब्लड मे कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करते है।

34

शाकाहारी कच्चा मांस नही खाते अथवा नही खा सकते।

यह किसी भी जानवर को मारकर उसका मांस कच्चा ही खाते है।

35

शाकाहारीयो के मल-मुत्र मे दुर्गंध नही होती है अथवा बहुत कम दुर्गंध होती है।

इन प्राणियो के मल-मुत्र मे दुर्गध होती ही है।

36

शाकाहारीयो के उर्जा प्राप्ति के लिए भिन्न प्रोटीन प्रयोग मे लाए जाते है।

इनके पाचन संस्थान मे पाचन के समय उर्जा प्राप्त करने के लिए अलग प्रकार के प्रोटीन उपयोग मे लाये जाते है जो शाकाहारीयो से भिन्न होते है।

37

शाकाहारीयो के पाचन संस्थान मे जो इंजाईम बनते है वह वनस्पतिजन्य पदार्थो को पचाते है।

इनके पाचन संस्थान मे जो इंजाईम बनते है वह वह मांस का ही पाचन करते है।

38

शाकाहारीयो के शरीर का तापमान मनुष्य के तापमान के आस-पास होता है।

इनका तापमान शाकाहारीयो से कम होता है क्योंकी मांसाहारीयो का बेसिक मेटॉबोलिक रेट(Basic Metabolic Rate,BMR) कम होता है।




कुछ अधिक जानकारी(SOME MORE INFORMATION) :- तालिका मे दी गई जानकारी के अनुसार मानव जाति शाकाहारी है इसके अलावा आप एक और प्रयोग कर सकते है जिसमे आप 1 महिने तक एक जगह शाकाहर रखे और दुसरी ओर मांसाहार और आप कोई भी शाकाहारी या मांसाहारी प्राणि को इसके सामने लाईये अगर प्राणि मांसाहारी है तो वह सिर्फ मांसाहार की खाएगा और यदि शाकाहारी है तो वह शाकाहार ही खाएगा और यदि आपको लगता है की आप एक मांसाहारी प्राणि है तो आप कुछ दिनो/महीने तक आप सिर्फ और सिर्फ मांस ही खाके देखे आपके शरीर पर उसका क्या दुष्प्रभाव पडेगा आप उसे देखकर समझ जाएंगे। यह जानकारी डॉ भूपसिह जो की भौतिक विज्ञान के एक रिटायर्ड एसोशिएट प्रोफेसर है भिवानी,हरियाणा से उन्होने यह जानकारी हाल ही मे प्रस्तुत की थी।

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

टाइम कैप्सुल अथवा कालपात्र क्या होता है और इसका उपयोग किसलिए किया जाता है ( WHAT IS TIME CAPSULE AND WHAT IS IT USED FOR ? ) - UNIQUE HINDI POST


टाइम कैप्सुल अथवा कालपात्र क्या होता है और इसका उपयोग किसलिए किया जाता है ( WHAT IS TIME CAPSULE AND WHAT IS IT USED FOR ? )



टाइम कैप्सुल/कालपात्र के बारे (ABOUT TIME CAPSUL/KAALPAATRA) :-


टाइम कैप्सुल एक प्रकार की वस्तु होती है जो किसी ऐतिहासिक स्थान या महल अथवा मंदिर आदि मे डाला जाता है और इसे इतना मजबूत बनाया जाता है ताकी यह किसी भी परिस्थिति मे टिका रहे इसे धरती के नीचे दबाया जाता है और इसे सैकडो सालो के लिए धरती मे दबा दिया जाता है ताकी इसे भविष्य मे निकाला जा सके। अब आपके मन मे यह प्रश्न आ रहा होगा की इसे क्यू धरती मे दबाया जाता है वो भी सैकडो सालो के लिए और इसे ऐतिहासिक स्थान पर ही क्यू डाला जाता है यह इसलिए किया जाता है ताकी वर्तमान की बाते हमारे आनेवाली पीढियो को बताया जा सके और उन्हे अपने इतिहास के बारे मे बतया जा सके की इतिहास मे उनके यहाँ की राजनीती,अर्थव्यवस्था,उस समय क्या-क्या घटनाए हुई थी आदि की जानकारी उन्हे प्राप्त हो सके।

उदाहरण के लिए जैसे वर्तमान मे आप जी रहे हो और आपने आनेवाली पीढियो को कुछ बताना चाहते हो या उन्हे जानकारीया देना चाहते हो तो आप कैसे देंगे इसके लिए आपको उतना जीना होगा और आपकी आयु भी सीमीत है आपकी मृत्यु तय है और एक सामान्य मानव लगभग 90-100 वर्ष की आयु अधिकतर जीवित होता है तो इसके बाद आप आनेवाली पीढियो को कैसे बताओगे तो इसके आप कालपात्र अथवा टाइम कॅप्सुल का उपयोग कर सकते हो जिसमे आप वर्तमान अथवा इस समय की सारी जानकारिया,अपने बारे मे,अपने देश या वर्तमान स्थिति मे पृथ्वी पर हो रही घटनाओ,इतिहास की जानकारिया आदि बहुत से दस्तावेज या कोई वस्तु को आप इसमे डालकर इसे धरती के नीचे दवा सकते है जिसे आनेवाले 200-300 वर्षो या उससे भी अधिक वर्षो बाद जब खुदाई की जाए तो आपके इस वर्तमान समय के बारे मे भविष्य की पीढियो को पता चले और इसे अधिकतर ऐतिहासिक स्थानपर ही दबाया जाता है लगभग 200 से 300 फिट नीचे ऐसा इसलिए किया जाता है की क्योंकी ऐतिहासिक स्थानो को तोडा या उसे निष्क्रिय नही किया जाता और यदि आप इसे आजकल के किसी इमारत के नीचे दबाएंगे तो इमारत को 90-120 वर्षो मे तोडा जाता है जिसके कारण आपका कालपात्र समय से बहुत जल्द ही लोगो को मिल जाएगा और उस समय हो सकता है की लोग इसके अंदर स्थित वस्तुओ का मोल ना समझे और इसे सामान्य घटना बताए या कह दे तथा इसे फेंक दे लेकिन ऐतिहासिक स्थानो पर ऐसा नही होता है उसे एक धरोहर के रुप मे रखा जाता है और यदि कोई चाहता है की दबाया गया कालपात्र एक निश्चित समय पर निकाला जाए तो ऐसा भी हो सकता है। कालपात्र को इस प्रकार बनाया जाता है कि उसमे सडन-गलन और वर्षो-वर्षो तक कोई क्षति ना हो।

भारत मे कब-कब टाइम कॅप्सुल/कालपात्र का उपयोग किया गया है ?( HOW OFTEN IS THE TIME CAPSULE/KAALPAATRA USED IN INDIA )





कालपात्र का उपयोग पुरा विश्व करता है और खासकर इसका उपयोग देश की सरकार करती है ताकी इतिहास की सही-सही जानकारी स्थित रहे और भारत मे भी इसका उपयोग होता है। सन 15 अगस्त,1973 मे इंदिरा गांधी जी ने एक टाइम कॅप्सुल को लाल किले के नीचे दबवाया था और उन्होने इसे कालपात्र का नाम दिया था लेकिन बाद मे इसपर विवाद होने से इसे बाद मे निकाल लिया गया था जिसमे भारत की आजादी के बाद के 25 वर्षो की जानकारी रखी गई थी लेकिन इसे समय से पहले अथवा 6-8 वर्षो के अंदर ही निकाल लिया गया था और अब वर्तमान समय मे भारत मे स्थित राममंदिर के पुन:निर्माण मे जब इसका कार्य आरम्भ होगा तब इसमे 200 फिट नीचे एक कालपात्र डाला जाएगा ऐसा भारत की सरकार ने निश्चय किया है।


शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

भारत का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र कौन-सा है और कहाँ पर स्थित है ? (WHAT IS INDIA'S LARGEST NUCLEAR POWER PLANT AND WHERE IS IT LOCATED ?) - UNIQUE HINDI POST


भारत का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र कौन-सा है और कहाँ पर स्थित है ? (WHAT IS INDIA'S LARGEST NUCLEAR POWER PLANT AND WHERE IS IT LOCATED ?)



भारत के सबसे बडे परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र के बारे मे (INDIA'S BIGGEST NUCLEAR POWER PLANT) :-


भारत का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र तमिलनाडु के जिले तिरुनेलवेली के कुडनकुलम मे स्थित है जिसका नाम कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र(KUDANKULAM NUCLEAR POWER PLANT) है। कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र मे 2 ईकाईया अथवा युनिट है जिसमे कुल मिलाकर 2000 मेगावाट(MW) की बिजली निर्माण करता है। दोनो ईकाईयो/युनिट की लागत कुल मिलाकर 13,171 करोड थी लेकिन बाद मे इसे संशोधित कर 17,270 करोड कर दिया गया अथवा इसमे दो और ईकाई/युनिट(UNIT) निर्माण करने का निश्चय किया गया जिसके बाद फरवरी,2016 मे इसमे ईकाई/युनिट 3 और 4 की जमीन तोड समारोह का आरम्भ किया गया जिसकी लागत कुल मिलाकर 40,000 करोड तक है। इसका निर्माण कार्य 31 मार्च,2002 मे न्युक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(NUCLEAR POWER CORPORATION OF INDIA) द्वारा किया गया और उन्होने इसे दिसंबर 2007 तक इसका निर्माण कार्य पुरा करने की अवधि दी और बाद मे उन्होने भविष्यवाणी की कि इसका निर्माण कार्य इससे भी जल्दी होगा जो की मार्च,2007 तक दि गई अथवा यह भी बताया की इसकी पहली ईकाई इस अवधी मे आरम्भ होगी और इस समय इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र मे छह रिएक्टर है। 14 जनवरी,2004 मे कुडनकुलम मे एक छोटा बंदरगाह का निर्माण कराया गया जिसकी स्थापना पानी के रिएक्टर उपकरण ले जानेवाले बजरो को प्राप्त करने के लिए की गई थी अथवा इसमे और ईकाई बढाने का निश्चय हो रहा है इस वर्ष 2020 मे 5 और 6 के निर्माण की उम्मीद थी लेकिन अभी तक इसपर कोई टिप्प्णी नही दी गई है।

2019 मे कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र मे एक साइबर अटैक(CYBER ATTACK) किया गया जिसे लजारस ग्रुप द्वारा किया गया था जिसके बाद यह पुख्ता किया गया की और बताया गया की यह साइबर अटैक प्रुफ है।

इस सन्यंत्र को बनाना बहुत बडा विवाद था क्योंकी इसे लेकर स्थानीय मछुआरे आदोलन(PROTEST) कर रहे थे और वह इसके विरोध मे भी थे जिसके कारण इसका निर्माण कार्य तय समय पर पुरा नही हुआ।( हम यहाँ निर्माण कार्य का उल्लेख कर रहे है ईकाई/युनिट आरम्भ करने का नही)






रविवार, 26 जुलाई 2020

विश्व का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र कहा है ?(WHERE IS WORLD'S BIGGEST NUCLEAR POWER PLANT) - UNIQUE HINDI POST


विश्व का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र कहा है ?(WORLD'S BIGGEST NUCLEAR POWER PLANT)



विश्व के सबसे बडे परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र के बारे मे


सबसे बडे परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र का नाम (NAME OF NUCLEAR POWER PLANT) :-

काशिवाजाकी-करिवा न्युक्लेअर पावर प्लांट (KASHIWAZAKI-KARIWA NUCLEAR POWER PLANT)

यह कहाँ पर स्थित है (ADDRESS OF POWER PLANT) :-

नीगाटा प्रेफेक्चर(प्रांत),जापान (NIIGATA PREFECTURE,JAPAN)

यह किसके स्वामित्व मे है (OWNER) :-

टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कम्पनी (TOKYO ELECTRIC POWER COMPANY)

इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र की कुल क्षमता (TOTAL CAPACITY) :-

7965 मेगावाट (Megawatt)

इसका आरम्भ कब किया गया (OPENING DATE) :-

18 सप्टेम्बर,1985(18 SEPTEMBER,1985)

इसका कुल क्षेत्रफल (SITE) :-

1000 एकड/4.2 घनकिलोमीटर (1000 ACRE/4.2 SQUARE KILOMETRE)



विश्व का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र जापान के नीगाटा प्रेफेक्चर(प्रांत) मे स्थित है और इसका नाम काशिवाजाकी-करिवा न्युक्लेअर पावर प्लांट (KASHIWAZAKI-KARIWA NUCLEAR POWER PLANT) है। इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र की कुल क्षमता 7965 मेगावाट है और इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र की 7 ईकाई/युनिट है जिसमे पांच 1100 मेगावाट और दो 1356 मेगावाट की क्षमतावाले ईकाई/युनिट लगे हुए है। इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र(NUCLEAR POWER PLANT) का निर्माण कार्य सन 1980 मे आरम्भ हुआ और इसके पहले युनिट को सप्टेंबर,1985 से व्यवसायिक संचालन आरम्भ किया गया और इसके अंतिम युनिट को सन 1997 को जुलाई से व्यवसायिक रुप से संचालित किया गया। इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र पर टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कम्पनी (TOKYO ELECTRIC POWER COMPANY) का स्वामित्व है अथवा यह इसके मालिक है। जुलाई,2007 मे आए भूकंप के केंद्र से यह परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र सिर्फ 19 किलोमीटर दुर था और इस भुकंप ने इसकी आधार और संरचना को हिला दिया था और जब भुकंप के बाद इसका निरिक्षण किया गया था तब यह पता चला की इसे आरम्भ करने के लिए इसका अधिक से अधिक भुकंप-रोधी बनाना होगा जिसके बाद यह 21 महिनो तक बंद रहा और उसके बाद मई,2009 को इसकी युनिट संख्या 7,1,5 और 6 फिर शुर किया और बचे हुए शेष 2,3,4 को शुरु नही किया गया और इसके बाद मार्च,2011 को एक और भुकंप आने के कारण इसे पुरी तरह बंद कर दिया गया और यह वर्तमान समय मे भी बंद है और इसे 2021 तक आरम्भ करने की आशंका है।





इस लेख मे ली गई सभी जानकारी का स्त्रोत WWW.TEMPO.CO.JP इस वेबसाइट से ली गई है यदि आपको इसके बारे मे और अधिक जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके सीधे इनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर पहुंच जाएंगे।



शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

विश्व के सबसे पहले विडियो गेम को किस व्यक्ति ने बनाया था और कब ( WHO IS THE INVENTOR OF FIRST VIDEO GAME AND WHERE )(William Higinbotham) - UHP


विश्व का सबसे पहला विडियो गेम किसने बनाया और वह कैसा दिखाई देता था ? (WHO MADE THE WORLD'S FIRST VIDEO GAME AND WHAT DID IT LOOK LIKE ?)



विश्व के पहले विडियो गेम(VIDEO GAME) और इसे बनानेवाले के बारे मे


पहला विडियो गेम बनानेवाले का नाम(GAME-MAKER'S NAME) :-

विलियम हिंगिंबोथम (WILLIAM HINGINBOTHAM)

पहले विडियो गेम का नाम (WORLD'S FIRST GAME NAME) :-

टेनिस फॉर टु (TENNIS FOR TWO)

कब बनाया और कहाँ (WHEN MADE & WHERE) :-

अक्टुबर,1958 को ब्रूकहवेन नेशनल लॅबोरटॉरी ओपन हाऊस (BROOKHAVEN NATIONAL LABORATORY OPEN HOUSE)

बनानेवाले की जन्मतिथि और स्थान (MAKER'S BIRTHDATE AND PLACE) :-

25 अक्टुबर,1910 मे ब्रिड्जपोर्ट,कनेक्टीकट [BRIDGEPORT,CONNECTICUT(CT) ]



विलियम हिंगिंबोथम ने पहला विडियो गेम बनाया था जो की 1970 के गेम पोंग(PONG) से बहुत मेल खाता था और यह काफी प्रसिद्ध था ब्रूकहवेन नेशनल लॅबोरटॉरी ओपन हाऊस मे। विलियम हिंगिंबोथम विलियम्स कॉलेज(William's Collage) से ग्रेजुएट हुए थे सन 1932 मे और इसके बाद कॉरनेल युनिवर्सिटी मे उन्होने भौतिकीशास्त्र(Physics) की पढाई की। कॉरनेल युनिवर्सिटी(Cornell University) मे उन्होने ग्रेजुएट विद्यार्थी होकर इलेक्ट्रोनिक्स टेकनीशियन के रुप मे कार्य किया। 1941 मे वह एमआईटी(MIT) रेडिएशन लैब मे सम्मिलित हुए उन्होने वहाँ रडार सिस्टम के लिए कैथोड रे ट्यूब डिस्प्ले पर काम किया इसके बाद उन्होने 1943 मे परमाणु बम के लिए एक समय प्रणाली के इलेक्ट्रानिक्स पर काम करने लॉस अलमोस(Los Almos) चले गए। 1948 मे उन्होने ब्रुकहवेन नेशनल लॅबोरॅटरीज इंस्ट्रुमेंटेशन ग्रुप से जुड गए और वह इस ग्रुप मे अध्यक्ष(HEAD) रहे और उनका कार्यकाल 1948 से 1968 तक चला और इन्ही वर्षो मे उन्होने विडियो गेम का आविष्कार किया अथवा उसे बनाया।

विश्व के सबसे पहले गेम के पीछे का इतिहास






उस समय ब्रुकहवेन ने वार्षिक आयोजन किया था जहाँ हजारो लोग आनेवाले थे जहाँ हिंगिंबोथम की जिम्मेदारी थी की वह इंस्ट्रुमेंटेशन डिवीजन के काम को लोगो के सामने प्रदर्शित करे लेकिन मौजुदा समयतक आयोजन बहुत सुस्त हो रहे थे जब उन्होने सोचा की वह एक इंटरएक्टिव प्रदर्शन करेंगे जिसके बारे मे उन्होने ने एक मॅगजीन मे भी बताया था। इसके बाद उहोने इंस्ट्रुमेंटेशन समुह से एक एनालॉग कम्प्युटर का भी उपयोग किया उन्हे इस गेम के बारे मे सोचने के लिए और इसपर कार्य आरम्भ करने के लिए अधिक समय नही लगा और यही से "टेनिस फोर टु" गेम को बनाने की प्रक्रिया को आरम्भ किया। हिंगिबोथम ने चार कम्प्युटरस ऑपरेशनल एम्पलीफायर(Computer Operational Amplifiers) का उपयोग गेंद की गति को उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया और बाकी छ्ह एम्पलीफायर का उपयोग उन्होने तब प्रतिक्रिया करने के लिए बनाया जब गेंद जमीन या नेट पर टकराए और तभी वह व्यक्ति या खिलाडी के रिमोट को एक्टिव करके उस खिलाडी की आज्ञा को स्वीकार करे। आरम्भ मे इस गेम को 5 इंच की स्क्रिन पर दिखाया जाता था लेकिन बाद मे इसे 10 अथवा 17 इंच के गोल स्क्रीनपर सेट कर दिया गया।








कुछ अधिक जानकारी :- पोस्ट मे दिखाए गए सभी चित्र और फोटो WWW.BNL.GOV इस वेबसाइट से लिए गए है और जानकारीया भी इसी वेबसाइट से ली गई है अगर आपको इनके बारे मे और अधिक जानकारी चाहिए तो आप इनकी वेबसाइट को देखे। आप नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके आप इस वेबसाइट पर तुरंत जा सकते है।



बुधवार, 22 जुलाई 2020

विश्व का सबसे बडा मंदिर भारत मे नही इस देश मे है जानिए इस मंदिर के बारे मे ( BIGGEST TEMPLE IN THE WORLD NOT IN INDIA/BHARAT ) - UHP


विश्व का सबसे बडा मंदिर कौन-सा है और कहाँ है ?





विश्व का सबसे बडा मंदिर कहाँ है ? (Where is World's Largest Temple)


विश्व का सबसे बडा मंदिर भारत मे नही है यह मंदिर भारत के बाहर है और इस मंदिर को 12वी शताब्दी मे निर्माण कराया गया था और यह मंदिर कम्बोडीया मे स्थित है और यह बडा होने के साथ-साथ सुंदर भी है अथवा इसके साथ-साथ यह एक विश्व धरोहर भी है। मंदिर का नाम "अंग्कोर वट(ANGKOR WAT)" है और कम्बोडिया(COMBODIA) देश के ध्वज के मध्य मे इस मंदिर को दर्शाया गया है अथवा इस मंदिर का चित्र ध्वज पर दर्शाया गया है। अंग्कोर वट मंदिर लगभग 402 ऐकड मे फैला हुआ है और इसके परिसर मे लगभग 1 हजार मंदिर है,अंग्कोर वट मंदिर वर्तमान समय मे बौद्ध धर्म को समर्पित है यह पहले एक हिंदु मंदिर था हम आपको इसके बारे मे आगे-आगे बताएंगे |




अंग्कोर वट मंदिर का प्राचीन इतिहास ( Ancient History Of ANGKOR WAT Temple


अंग्कोर वट मंदिर कम्बोडिया के सियाम्रेब के पास अंग्कोर मे स्थित है। अंग्कोर वट मंदिर को 12वी शताब्दी मे राजा सुर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनाया गया था उनका शासनकाल सन 1113-1150 तक था। अंग्कोर नगर यह शाही लोगो का केंद्र था जिसपर खमेर के राजाओ के एक राजवंश ने राज्य किया जो की इतिहास मे सबसे समृद्ध,परिष्कृत और सबसे बडे राज्यो मे से एक था। 9वी शताब्दी के अंत और 13वी शताब्दी के आरम्भ मे कई निर्माणकार्य और परियोजनाए की गई थी जिनमे से एक का उल्लेख अंग्कोर वट का किया गया था राजा सुर्यवर्मन द्वितीय ने इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया तथा इसमे उनके अवशेषो को भी जमा किया जाना था इस मंदिर का निर्माणकार्य तीन दशक तक चला था। इसके बाद सन 1177 मे चाम लोगो द्वारा जो की आधे भारतीय और आधे चीनी थे उन्होने इस मंदिर को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद राजा जयवर्मन ने यह निश्चय कर लिया की हिंदु देवी-देवीताओ द्वारा उन्हे विफल कर दिया गया है और जब उन्होने नई राजधानी अंग्कोर थोम बनाई तब उन्होने अंग्कोर वट मंदिर को बौद्ध धर्म को समर्पित कर दिया जिसके बाद यह एक बौद्ध तीर्थस्थल बन गया और मंदिर मे बनाई गई आकृतियो और नक्काशियो को बौद्ध कला से बदल दिया गया बौद्ध धर्म के पहले मंदिर मे हिंदु धर्म के भगवान शिव,ब्रह्मा और विष्णु की पुजा की जाती थी और मुख्य रुप से उन्हे ही समर्पित था। अंग्कोर वट मंदिर मे पांच स्तंभ थे जो मेरु पर्वत को दर्शाते है जो हिंदु मान्यताओ के अनुसार देवी-देवताओ का निवास है। मंदिर की दिवारे उच्चगुणवत्ता की आधाररहित मुर्तियो/स्तंभ से ढक हुइी है जिसमे हिंदु देवताओ और प्राचीन खमेर दृश्यो की आकृति के साथ-साथ महाभारत और रामायण के दृश्य दर्शाए गए है।

देवताओ की आकृति

भगवान विष्णु के कथा का एक दृश्य की नक्काशी

राजा सुर्यवर्मन द्वितीय की आकृति

कुछ अधिक जानकारी(SOME MORE INFORMATION) :- 15वी शताब्दी मे अंग्कोर को अपने हालपर छोड दिया गया था जहाँ थेरवाड के बौद्ध भिक्षुओ ने अंग्कोर वट मंदिर की देखभाल करने का प्रयास किया लेकिन जल रिसाव और जल जमाव ने परिसर ने इसपर प्रभाव डाला जिसे बाद मे सरकार द्वारा वर्ष 1980 मे इसकी मरम्मत का कार्य आरम्भ किया गया और कुछ वस्तुओ को वापस बनाया गया और वर्ष 2004 मे यह खतरे के संकेत से बाहर माना गया और आज यह एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और उनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर मे सम्मिलित किया गया।

अमेरिका (युएस) का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र कौन-सा है और कहाँ पर स्थित है ?( WHICH IS THE LARGEST NUCLEAR POWER PLANT OF AMERICA (US) AND WHERE IS IT LOCATED IN HINDI ) - UHP


अमेरिका का सबसे बडा परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र कौन-सा है और कहाँ है ?


palo verde nuclear generating station credit-wikipedia and power-technology.com

अमेरिका के सबसे बडे परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र के बारे (About America's Largest Nuclear Power Plant)


अमेरिका के सबसे बडे परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र का नाम "पालो वर्डे न्युक्लेयर जनरेटिंग स्टेशन(Palo Verde Nuclear Generating Station)" है और यह एरिजोना के टोनोफा(टोनोफा,एरिजोना)(Tonopah,Arizona) मे स्थित है। टोनोफा एरिजोना के पश्चिम के ओर है जिसके कारण यह ऊर्जा सन्यंत्र फिनिक्स शहर से 72 किलोमीटर(42 मील) दूर है। यह ऊर्जा सन्यंत्र विश्व का एकलौता एक परमाणु सन्यंत्र है जो किसी भी बडे जल स्त्रोत से पास नही है यह परमाणू ऊर्जा सन्यंत्र रेतीले क्षेत्र मे स्थित है इसके पास मे सिर्फ गाली नामक नदी है। यह परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र आस-पास के शहर और कस्बो सीवेज ट्रिटेड(SEWAGE TREATED) पानी का उपयोग किया जाता है। पालो वर्डे परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र मे तीन इकाई अथवा युनिट लगाए गए है। इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र की कुल क्षमता 3.93 गीगावाट(GW) है और इसका वार्षिक उत्पादन 3.2 करोड मेगावाट-घंटे(32 MILLION MEGAWATT-hours,MWh) की बिजली उत्पादित करता है। इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र के मालिक और संचालन सन्युक्त रुप से एरिजोना पावर सर्विस है जिनके पास 29.1 प्रतिशत मालिकाना अधिकार है और इसके अलावा
साल्ट रिवर प्रोजेक्ट(Salt River Project) के पास 17.5%,
एल पासो इलेक्ट्रिक(El Paso Electric) के पास 15.8%,
पब्लिक सर्विस कंपनी ऑफ न्यु मैक्सिको(Public Service Co. Of New Maxico) के पास 10.2%,
साउधर्न कैलिफोर्निया पब्लिक पावर ऑथोरिटी(Southern California Public Power Authority के पास 5.9%,
लॉस एंजिलंस डिपार्टमेंट ऑफ वाटर अ‍ॅण्ड पावर(Los Angles Department Of Water and Power) के पास 5.7% है।

पालो वर्डे न्युक्लेयर जनरेटिंग स्टेशन यह परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र 4000 हजार एकड(Acre) के क्षेत्र मे फैला हुआ है और इसमे कर्मचारियो(Employee) की संख्या 2055 है। यह परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र एरिजोना के 40 लाख घरो को बिजली की आपुर्ति करता है अथवा आस-पास के इलाको का मुख्य स्त्रोत भी यही है।


कुछ अधिक जानकारी(SOME MORE INFORMATION) :- पालो वर्डे न्युक्लेयर जनरेटिंग स्टेशन के लिए यह क्षेत्र बहुत ही विवादास्पद रहा था आलोचको का दावा था की यह क्षेत्र उनकी पहली पसंद नही थी और ऐसा इसलिए था क्योंकी यह क्षेत्र एक रेगिस्तान था,यहाँ पानी आपुर्ति नही के बराबर थी और यहाँ वायु बहुत ही तेह चलती रहती है जिससे यह फिनिक्स और आदि महानगरो को संकट मे डाल देते। इस क्षेत्र को विकल्प के तौरपर चुना गया था इसका कारण यह था की यह किथ तुरले(Keith Turle)(किथ तुरले एरिजोना पावर सर्विस के अध्यक्ष थे) के एक रिश्तेदार के स्वामित्तव मे था। इस परमाणु ऊर्जा सन्यंत्र के तीनो युनिट मे से पहले और दुसरे युनिट को सन 1986 और तीसरे को 1988 से व्यवसायिक तौर पर संचालन किया जाने लगा।

मंगलवार, 21 जुलाई 2020

क्या होता है कर्फ्यु और धारा 144 तथा शूट और साईट किसे कहते है ?( WHAT IS CURFEW AND SECTION 144 AND WHAT IS SHOOT AND SITE IN HINDI) - UHP


कर्फ्यु,धारा 144 किसे कहते है और इसे कब लगाया जाता है तथा शुट अ‍ॅण्ड साइट की आज्ञा कब दी जाती है ?



कर्फ्यु और धारा 144 क्या होती है/ किसे कहते है


कर्फ्यु और धारा 144 दोनो अलग-अलग होते है और हम आपको लॉकडाउन के बारे मे भी बताएंगे। कर्फ्यु, धारा 144 और लॉकडाउन से बहुत अलग है और इसमे बहुत से अधिकार पुलिस-प्रशासन को प्राप्त होते है और इसकी कुछ विशेष बाते भी है। हम आपको शुट और साइट के बारे मे भी बताएंगे और यह भी बताएंगे की इसका उपयोग कब किया जाता है। हमने नीचे एक तालिका निर्माण की है जिसमे कर्फ्यु,धारा 144 तथा लॉकडाउन के बारे मे बताया गया है और इन तीनो मे क्या अंतर है यह भी स्पष्ट किया गया है।

लॉकडाउन,धारा 144 और कर्फ्यु की तालिका :-


लॉकडाउन

धारा 144

कर्फ्यु

लॉकडाउन यह परिस्थितिओ को ध्यान मे रखकर लगाया जाता है जैसे कि कोई प्राकृतिक आपदा आनेपर या बिमारीयो को फैलने से रोकने के लिए होता है।

धारा 144 यह तब लगाई जाती है जब किसी तरह की सुरक्षा संबंधित,स्वास्थ्य संबंधित और साथ-साथ दंगे होने अथवा हिंसा होने की आशंका हो तब इस सीआरपीसी की धारा 144 को लागू किया जाता है।

कर्फ्यु को बहुत ही गंभीर स्थिति मे लगाया जाता है जैसे की आतंकवादी हमला होनेपर,महामारी रोकने के लिए और बार-बार किए जानेवाले हमले या दंगे से निपटने के लिए कर्फ्यु लगाया जाता है

लॉकडाउन मे लोगो घरपर रहने की अपील की जाति है

धारा 144 मे एक जगह पर पांच या उससे ज्यादा व्यक्ति नही रुक सकते

कर्फ्यु मे लोगो को घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंधित कर दिया जाता है लोगो घर मे ही रहना पडता है

आवश्यक वस्तुए जैसे की अस्पताल और बाज़ारो को थोडी देर या इसे खुला रखा जाता है,यातायात बंद कर दिया जाता है

धारा 144 मे किसी भी व्यक्ति को हथियार लाने-ले जानेपर प्रतिबंध होता है पुलिस के अलावा और इसमे यातायात पर प्रतिबंध नही होता

कर्फ्यु मे आव्श्यक वस्तुओ के लिए लोगो को कुछ देर तक छुट दी जाती है जिसमे वह बाज़ार जा सकते है लेकिन लोगो को यह सब सुरक्षा कर्मियो की निगरानी मे करना पडता है और अगर उन्हे स्वास्थ्य संबंधित कोई परेशानी होती है तो उन्हे सुरक्षाकर्मियो अथवा प्रशासन से संपर्क करना पडता है अथवा यातायत पर भी पुर्ण रुप से प्रतिबंध लगाया जाता है

लॉकडाउन का उल्लंघन करनेवालो पर कारवाई की जाती है अथवा दंड भी वसुल किया जा सकता है

अगर कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है तो उसपर दंगे भडकाने का या उसमे शामिल होने का मामला दर्ज किया जा सकता है जिसके अंतर्गत 3 साल तक कैद की सजा भी हो सकती है

कर्फ्यु का भी उल्लंघन करनेवाले व्यक्तियो पर मामला दर्ज होता है और इसमे भी कैद की सजा मिल सकती है और यह सब बहुत ही सख्ती से किया जाता है

इसमे आव्श्यक सेवाओ को चालु रखा जाता है और बाकी सभी बंद किए जाते है मार्केट,कॉलेज,दुकाने(सरकारे इसे कुछ समय के लिए भी खोलने का आदेश दे सकती है)

इसमे सभी सेवाए चालु होती है लेकिन अगर सरकार चाहे तो कुछ सेवाए बंद भी कर सकती है

कर्फ्यु मे बहुत ही आवश्यक सेवाए चालु होती है इसके अलावा सभी बंद कर दी जाती है और नागरिको के अधिकार भी खत्म किए जा सकते है



शुट और साइट किसे कहते है और इसकी आज्ञा कब दी जाती है ?


ऊपर दी गई तालिका मे हमने आपको तीनो मे क्या अंतर है यह बताया इन तीनो परिस्थितियो मे अगर सरकार चाहे तो कुछ बदलाव भी कर सकती है और धारा 144 को एक समयतक ही लागु किया जाता है इसे छह महीने से ज्यादा लागु नही किया जा सकता और अब हम आपको शुट और साइट के बारे मे बताएंगे :-

शुट और साइट को तब लागु किया जाता है जब कोई बडा दंगा हो रहा हो और उस दंगे मे लोग हिंसा नही करनी की अपील को नही सुन रहे है और लोगो को घायल करते ही जा रहे है और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए ही जा रहे है तो पुलिस अथवा सुरक्षाकर्मियो को शुट और साइट की आज्ञा दी जा सकती है। इसे और अच्छे से समझने के लिए एक परिस्थिति के बारे मे सोचे जहाँ कोई आंदोलन चल रहा है और वह आंदोलन कुछ लोगो द्वारा किया जा रहा हो और वह आंदोलन कुछ समय बाद हिंसक हो जाता है और आंदोलनकर्ता सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हो और लोगो को घायल या उनपर जानलेवा हमला कर रहे हो अथवा सुरक्षाकर्मियो पर भी हमला किया जा रहा हो तो ऐसे मे पुलिस सबसे पहले आसु गैस और लोगो से अपील करती है की हिंसा न करे और अपने-अपने घर मे रहे लेकिन अगर आंदोलनकर्ता ऐसा न करके हिंसा करते ही जा रहे हो अथवा परिस्थिति और गंभीर होनेपर पुलिस को शुट और साइट का ऑर्डर/आज्ञा दी जाती है जिसमे पुलिस दंगे करनेवाले और हिंसा करनेवाले लोगो पर गोली चलाती है अथवा उन्हे रोकने के लिए उन्हे घायल भी कर सकती है ताकी लोगो को बचाया जा सके और संपत्ति को नुकसान कम हो।


शुक्रवार, 10 जुलाई 2020

हिस्ट्रीशीटर किसे कहते है और एक अपराधी को हिस्ट्रीशीटर कब कहा जाता है ?( WHEN A CRIMINAL CALLED HISTORYSHEETAR - IN HINDI ) - UHP

हिस्ट्रीशीटर किसे कहते है और एक अपराधी को हिस्ट्रीशीटर कब कहा जाता है ?


history sheetar kise kahte hai aur kyaa hai iska matalb

हिस्ट्रीशीटर किसे कहते है ?


आपने कई बार पुलिस को या समाचार मे किसी व्यक्ति को हिस्ट्रीशीटर कहते सुना होगा या आपने कई बार सुना होगा की जब कोई व्यक्ति किसी अपराधी की बात करता है तो उसे हिस्ट्रीशीटर कहता तो आज हम इसी के बारे मे बतानेवाले है, हिस्ट्रीशीटर कि उपाधि सिर्फ और सिर्फ एक कुख्यात अपराधी को ही दि जाती है पुलिस या कोर्ट द्वारा जिसका अर्थ यह होता है उस अपराधी ने बहुत से संगीन अपराध किए है और उसने यह कई बार किया है और उसपर आरोपो का अभी-भी(वर्तमान मे भी) मुकदमा चल रहा हो ऐसे अपराधी बहुत ही उच्च अपराधी की श्रेणी मे आते है और ऐसे अपराधी पुलिस से भागते रहते है और छिपते रहते है ताकी वह पकडे ना जाए तथा कभी-कभी ऐसे अपराधी पुलिस के द्वारा किए गए एनकाउंटर मे भी मारे जाते है।

हिस्ट्रीशीटर कब कहा जाता है ?(HOW YOU ARE MADE A APPLICATION)

कोई भी अपराधी जब 10 या 10 से ज्यादा मामले या अपराध करता है और वह उसमे सीधे तौरपर शामिल होता है तो उस अपराधी को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया जाता है और उन्हे उच्च अपराध की श्रेणी मे रखा जाता है और इनपर नजर रखी जाती है।





स्त्रोत :- प्रस्तुत जानकारी "कानून कि रोशनी मे" नामक युटुब चैनल से ली गई है। नीचे दिए गए लिंक से आप इस विडियो तक पहुंच सकते है ।


बुधवार, 8 जुलाई 2020

जानिए ANDROID STUDIO क्या है,कैसे काम करता है हिंदी मे(WHAT IS IT AND HOW IT'S WORK IN HINDI) - UHP

एंड्राईड स्टुडिओ (ANDROID STUDIO) क्या है और यह क्या-क्या कार्य करता है ?



एंड्राईड स्टुडिओ(ANDROID STUDIO) के बारे मे (क्या करता है और कौन-सा कार्य करता है) :-

एंड्राईड स्टुडिओ यह एक सॉफ्टवेअर है जिसमे हम एक एंड्राईड ऐप्लीकेशन या ऐप बना सकते है और उसे हम प्ले स्टोर पर भी रख सकते है जहाँ से बहुत से लोग आपकी ऐप डाउनलोड कर सकेंगे और अपने मोबाईल मे चला सकेंगे। एंड्राईड स्टुडिओ को दिसंबर,2014 मे गुगल द्वारा बनाकर लॉन्च किया गया था और तब से गुगल ने इसमे बहुत से बदलाव किए गए है और इसे एक बहुत ही अच्छा सॉफ्टवेअर बनाने के लिए अभी-भी बदलाव करते है और आप इसे किसी भी लैपटॉप या कम्प्युटर मे इंस्टाल कर सकते है वह चाहे विंडोस,लिनक्स या फिर मॅकओएस हो सभी मे इसका सॉफ्टवेअर डाउनलोड करने लायक है। आप एंड्राईड स्टुडिओ मे अपने मोबाईल फोन,डिजीटल घडी, टिवी,कार मे उपयोग होनेवाले सिस्टम आदि के लिए ऐप बना सकते है और इसके लिए आपको इसे सिखना होगा जिसके लिए आपको नीचे बताई गई वस्तुओ/बातो के बारे मे जानकारी होनी आवश्यक है अथवा इसका ज्ञान होना आवश्यक है।

  • सबसे पहले तो आपको अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना चाहिए( मामूली अंग्रेजी भी चल जाएगी )
  • आपको "जावा" या "कोटलिन" मे से कोई एक भाषा आनी चाहिए क्योकी आपको इनमे से ही किसी एक से एंड्राईड ऐप की कोडिंग करनी है तो आप इसे अच्छे से सीख ले ( यह दोनो कम्प्युटरी भाषाए है )
  • इसके अलावा आपको एंड्राईड मे कौन-से काम के लिए कौन-सा टॅग या कौन-सी पद्धति उपयोग की जाती है इसके बारे मे भी सिखना होगा और इसकी जानकारी आपको एंड्राईड स्टुडिओ के वेबसाईट पर मिल जाएंगी ( यह जानकारी आपको वहाँ अंग्रेजी मे मिलेगी अगर आप इसे हिंदी मे जानना चाहते है तो हमारे वेबसाईट पर देखे )



इस लेख मे दी गई सभी जानकारी ANDROID STUDIO के ऑफिशियल वेबसाईट से ली गई है आप नीचे क्लिक करके उनके ऑफिशियल वेबसाईट पर जा सकते है।

https://developer.android.com/studio/index.html

रविवार, 5 जुलाई 2020

एंड्राइड ऐप्लीकेशन/ANDROID APPLICATION(APP) कैसे बनाए जाते है और आप भी कैसे बना सकते है ? (MAKE YOUR OWN APPLICATION) - UNIQUE HINDI POST

एंड्राईड ऐप्लीकेशन(ANDROID APPLICATION) कैसे बनाते है और क्या आप यह ऐप्लीकेशन बना सकते है ?



एंड्राईड ऐप कैसे बनाते है ?(HOW ANDROID APPLICATION ARE MADE ?)


ऐप्लीकेशन(ऐप) कई प्रकार की होती है जैसे एक गेम(GAME) ऐप्लीकेशन,खाना बनाने की रेसिपी(विधि) का ऐप्लीकेशन आदि प्रकार के ऐप्लीकेशन आपको देखने मिल जाएंगे प्ले स्टोर(PLAY STORE) पर जिसे बह्त से लोग डाउनलोड करते है उपयोग करते है जिसमे कई बार कुछ लोग को यह को जिज्ञासा होती होगी की यह ऐप्लीकेशन कैसे बनता है इसे किस तरह से बनाया जाता है और क्या मै इसे बना सकता हु तो प्रश्न का उत्तर है "हाँ" आप भी एक ऐप्लीकेशन बना सकते है लेकिन इससे पहले आपको यह समझना होगा की ऐप्लीकेशन बनते कैसे है।

तो आइये जानते है ऐप्लीकेशन कैसे बनाए जाते है हम आपको एंड्राईड ऐप्लीकेशन के बारे मे बतानेवाले है जो कि एक एंड्राईड डिवाईस(ANDROID DIVICE) मे काम करता है। एंड्राईड ऐप्लीकेशन को एंड्राईड स्टूडिओ(ANDROID STUDIO) नामक एक सॉफ्टवेअर(SOFTWARE) पर बनाया जाता है जिसे कम्प्युटर(COMPUTER) मे इंस्टाल(INSTALL) किया जाता है और कोडिंग के द्वारा यह बनाया जाता है आप इसे बिना कोडिंग के भी बना सकते है लेकिन वह ऐप्लीकेशन बहुत ज्यादा कार्यरत नही होगी। कोई भी ऐप्लीकेशन को कोडिंग की सहायता से ही बनाया जाता है जहाँ इसमे सभी प्रकार के पेज बनाए जाते है और कोड इस तरह से सेट किए जाते है जैसे की अगर आप कोई भी नई ऐप्लीकेशन पर लॉगिन करते है तो वह लॉगिन कैसे होगा वह लॉगिन पेग कैसे दिखेगा,आपके लॉगिन करने के बाद कौन-सा पेज खुलेगा यह सभी बातो को ध्यान मे रखकर कोड किया जाता है और फिर इसके बाद सब कुछ ठिक से होने के बाद इसका ऐपीके(APK) बनाया जाता है इसका फुल फोर्म(FULL FORM) एंड्राईड पैकेज किट(ANDROID PACKAGE KIT) है जिसे छोटा करके लिखा जाता है और फिर इसे प्ले स्टोर(PLAY STORE) या वेबसाईट(WEBSITE) पर अपलोड(UPLOAD) कर दिया जाता है और वहा से सभी लोग इसे डाउनलोड(DOWNLOAD) कर लेते है। अब हम आगे जानेगे की कैसे आप भी ऐप्लीकेशन बना सकते है।

आप एंड्राईड ऐप्लीकेशन कैसे बना सकते है ?(HOW YOU ARE MADE A APPLICATION)


अगर आप एक एंड्राईड ऐप्लीकेशन बनाना चाहते है तो आपको तो आपको कोडिंग की आवश्यक्ता पडेगी वैसे तो आप बिना कोडिंग के भी बना सकते है लेकिन आप एक बहुत अच्छी तो बहुत सारे कार्य करती हो उस तरह की नही बना पाएंगे लेकिन अगर आप कोडींग से बनाते है तो आप अपने हिसाब से उसमे जो कुछ बनाना या कार्य करवाना चाहते हो वह कर पाएंगे और एक अच्छी सुंदर ऐप बना सकते है इसके लिए आपको "जावा(JAVA)" या "कोटलीन(KOTLIN)" नामक कम्प्युटरी भाषाओ/कोड को सिखना होगा यह इसलिए की एंड्राईड स्टुडिओ जिसमे एंड्राईड ऐप बनाया जाता है वह "जावा(JAVA)" और "कोटलीन(KOTLIN)" भाषा के द्वारा ही कोड करने के लिए कहता है और उसमे इन दोनो भाषाओ/कोड को ही स्वीकार्य किया जाता है। इसलिए आपको यह सिखना होगा इसके बाद आपको एंड्राईड स्टुडिओ इस सॉफ्टवेअर को डाउनलोड करना होगा और इंस्टाल करना होगा इसके आप गुगल पर सिर्फ एंड्राईड स्टुडिओ(ANDROID STUDIO) लिख दे वह आपको इसकी ऑफिशियल(OFFICIAL) वेबसाईट दिखा देगा जिसपर आप क्लिक करके आप इसे डाउनलोड कर ले।

एंड्राईड स्टुडिओ डाउनलोड करते समय ध्यान दे की वह आप उसे कम्प्युटर के हिसाब से डाउनलोड करे जैसे की अगर आप उसे विंडोस(WINDOWS) पर डाउनलोड कर रहे है तो विंडोस(WINDOWS) वाला पैकेज या सॉफ्टवेअर ले अगर मॅकओएस(macOS) मे कर रहे है तो मॅकओएसवाला(macOS) ही डाउनलोड करे और इसकी पहचान करना बहुत आसान है यह बाते वही पर लिखी होती है। एंड्राईड स्टुडिओ बडा सॉफ्टवेअर है यह लगभग 800-900 MB का है लेकिन जब यह इंस्टाल होता है तब इसका आकार बढ जाता है और इसे इंस्टाल करते समय अपना इंटरनेट चालू ही रखे ताकी यह पुरी तरह से डाउनलोड हो जाए यह कुछ समय लेगा और एंड्राईड स्टुडिओ डाउनलोड करने के बाद आप इसे अच्छी तरह से देखे और कौन-सा बटन कहाँपर है और कौन-कौन से फंक्शन(FUNCTION) क्या करते है इसके बारे मे जाने और अब आप एक ऐप बना सकते है।





कुछ अधिक जानकारी(SOME MORE INFORMATION) :- एंड्राईड स्टुडिओ मे ऐप(APP) बनाने के लिए आपको एंड्राईड के बारे जान ले और एंड्राईड स्टूडिओ(ANDROID STUDIO) के भी अपने ही कुछ अलग कोड है आपको वह भी जानना होगा जो की आपको एक उत्तम(BETTER) ऐप बनाने मे सहायता करेंगे और इसके बारे मे जानना आपके लिए बहुत आवश्यक है इसके बिना कही न कही अटक जाएंगे अथवा आपका एंड्राईड ऐप कभी पुरा नही होगा इसकी जानकारी इसकी ऑफिशियल(OFFICIAL) वेबसाईट पर उपलब्ध है लेकिन अगर आपको दिक्कत आती है तो हमने इसे अपनी वेबसाईट पर इसे हमने अच्छे से हिंदी मे समझाया है आप वहाँ से सीख सकते है।

रविवार, 31 मई 2020

ग्राफिक कार्ड क्या होता है और इसके कार्य क्या होते है जाने हिंदी मे (WHAT IS GRAPHIC CARD AND WHAT IS WORKS IN COMPUTER)(IN HINDI)

ग्राफिक कार्ड क्या होता है (WHAT IS GRAPHIC CARD IN COMPUTER)



ग्राफिक कार्ड क्या होता अथवा इसके बारे मे (WHAT IS GRAPHIC CARD AND ABOUT GRAPHIC CARD) -

ग्राफिक कार्ड यह कम्प्युटर मे होता है। ग्राफिक कार्ड को विडियो कार्ड भी कहते है और यह कम्प्युटर मे विडियो कंट्रोलर,ग्राफिक ग्राफिक एडाप्टर,डिस्प्ले एडाप्टर के नाम से उच्चारित किया जाता है। ग्राफिक कार्ड कम्प्युटर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है यह आम तौर पर गॅमिंग के लिए होता है,सॉफ्टवेयर बनाने और कम्प्युटर पर अधिक काम करनेवाले इसका उपयोग करते है।

ग्राफिक कार्ड क्या कार्य करता है(WORK OF GRAPHIC CARD IN COMPUTER)

ग्राफिक कार्ड(GRAPHIC CARD) कम्प्युटर मे फोटो(PHOTO,PICTURES),विडियो(VIDEOS) और एनीमेशन(ANIMATION) को कम्प्युटर स्क्रिन(SCREEN,DISPLAY) पर दिखाता है इसे ऐसा करने के लिए सबसे पहले ग्राफिकल डेटा(GRAPHICAL DATA) को सिंगनल(SIGNALS) मे बदल देता है जिससे कम्प्युटर(COMPUTER) उसे समझकर स्क्रीन पर दिखाता है। यह कार्य सीपीयू(CPU) द्वारा संचालित किया जाता है। ग्राफिक कार्ड दो तरह के होते है एक जो की कम्पनी(COMPANY) से ही मदरबोर्ड(MOTHERBOARD) पर लगाया(INTERGRETED GRAPHIC CARD) होता है और दुसरा जिसे आपको बाहर से लगाना(DEDICATED GRAPHIC CARD) होता है।

अब आप सोच रहे होंगे की बाहर से क्यु लगाने की आवश्यकता पडती है इसका उत्तर यह है की आमतौर पर हम या अधिकतर लोग जो कम्प्युटर मे सामान्य कार्य करते है और छोटे-मोटे गेम खेलते है और सामान्य फोटो और विडियो देखते है ऐसे मे कम्पनी द्वारा दिए गए ग्राफिक कार्ड पर यह चीजे चल जाती है लेकिन यदि आप अपने कम्पयुटर पर भारी-भरकम(बडे और भारी-भरकम गेम खेलना,एनिमेशन बनाना आदि) करना शुरु करते है तो कम्पयुटर बंद होना,रुक-रुककर चलना,अटक जाना ऐसी दिक्कते आती है ऐसे मे आपको बाहर से दुसरा और बेहतर श्रेणी का ग्राफिक कार्ड लेना होता है जो ज्यादा भारी-भरकम कार्य करने के लिए सक्षम हो, इससे आप अपने कम्पयुटर मे सॉफ्टवेयर बनाने,गेम बनाने,गेम खेलने का कार्य,विडियो और फोटो एडिटिंग(EDITING) करने का कार्य बहुत ही आसानी से कर पाते है और सीपीयू पर ज्यादा भार नही पडता। अगर कम्पनी ने पहले से ही अच्छा ग्राफिक कार्ड दिया हो तो बाहर से नही लगाए तभी लगाए जब आपको कोई दिक्क्त आती है।

अगर आप लॅपटॉप(LAPTOP) मे आप कार्य करते है और उसमे कम्पनी द्वारा ग्राफिक कार्ड लगाया गया है और आपको दिक्क्ते आ रही है तो आप डेस्क्टॉप(DESKTOP) पर अपना कार्य करे क्योंकी डेस्क्टॉप बहुत अच्छा कार्य करता है और कम भार लेते है। इंटरग्रेटेड ग्राफिक कार्ड(INTERGRETED GRAPHIC CARD) पावर(POWER) कम मात्रा मे लेते है लेकिन उनके कार्य धीरे होता है और वह भारी-भरकम कार्य के लिए नही होते इसलिए डेस्क्टॉप का उपयोग भारी-भरकम कार्य करने के लिए उपयोग करे और उसी मे डेडीकेटेड ग्राफिक कार्ड(DEDICATED GRAPHIC CARD) लगवाये। डेडीकेटेड ग्राफिक कार्ड पावर ज्यादा लेते है लेकिन उनका कार्य बहुत तेज़ अथवा भारी-भरकम कार्य करने के लिए सक्षम होता है।

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

पसीने से बदबू आने का क्या कारण है जाने हिंदी मे (WHY DOES OUR BODY SMELL WITH SWEAT)(IN HINDI) - UNIQUE HINDI POST

हमारे शरीर के पसीने से बदबू क्यू आती है (WHY DOES OUR BODY SMELL WITH SWEAT)



पसीने से बदबू आना -


अधिकतर कई लोगो के पसीने से बदबू आती है जिससे आस-पास के लोग और खुद वह आदमी परेशान हो जाता है ऐसे मे यह सवाल आता होगा की पसीने से बदबू क्यू आती है। पसीने की कोई गंध नही होती है तो यह सोचना बंद कर दे की पसीना ही बदबूदार है ऐसा नही है, पसीने से बदबू तब आती वैसे इसके कई कारण है लेकिन हम आपको शारीरिक कारण बता रहे है पहले तो बदबू तब आती है पसीने से जब इसमे शरीर के बॅक्टीरिया मिल जाते है अथवा शरीर मे पानी की मात्रा कम होने से भी पसीने से बदबू आती है इसके अलावा जब हम तनाव लेते या तनाव मे होते है तब पसीना निकलता है इसके अलावा उसी समय कार्टिसोल नामक हार्मोन निकलता है और इन दोनो के एक साथ निकलने के कारण बदबू आती है।

यह भी कारण है पसीने से बदबू आने का (WHY DO WE SWEAT)

सामान्यत: हमारे शरीर का तापमान लगभग 98.6 डिग्री फारेनहाइट(F) होता है और जब तापमान इससे ज्यादा हो जाता है तो हमे पसीना आना शुरु हो जाता है अथवा कभी-कभी तापमान बढ जानेपर बुखार आ जाता है, बुखार आना यह संकेत होता है की शरीर के अंदर वह किटाणुओ से लड रहा है जो शरीर को आगे जाकर नुकसान या हानि पहुंचा सकते है। आपने कभी-ना-कभी ध्यान दिया होगा कि बुखार जाने के कुछ समय पहले पसीना निकलता है यह बुखार का कार्य पुरा होने के बाद शरीर अपने पसीने की ग्रंथियो को शुरु कर देता है जिससे शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है। हमारे शरीर मे पसीने की ग्रंथिया की संख्या पच्चीस लाख या इससे ज्यादा होती है।

पसीने मे बदबू इन कारणो से भी आती है ( THIS IS ALSO THE REASON WHY THE SWEAT SMELLS BAD)

कपडो की वजह से(पसीना नही सोखनेवाले कपडो से)
एंटी बॅक्टीरियल इत्र की वजह से
बहुत अधिक दवाईया खाने से
मसालेदार खाने से

गुरुवार, 26 मार्च 2020

पसीना आने का क्या कारण है( WHAT REASON DO WE SWEAT) जाने हिंदी मे (IN HINDI) - UNIQUE HINDI POST

हमे पसीना क्यू आता है (WHY DO WE SWEAT)



पसीने के बारे कुछ बाते(ABOUT SWEAT) -


पसीना आना यह एक शारीरिक प्रक्रिया है जो बहुत ही आवश्यक प्रक्रिया है। पसीना निकलना एक तरह से शरीर के लिए एसी अथवा कुलर का कार्य करता है और जब पसीना निकलता है उसके साथ मे विषाक्त(विषैले) पदार्थ बाहर निकल जाते है।

पसीना क्यू आता है (WHY DO WE SWEAT)

सामान्यत: हमारे शरीर का तापमान लगभग 98.6 डिग्री फारेनहाइट(F) होता है और जब तापमान इससे ज्यादा हो जाता है तो हमे पसीना आना शुरु हो जाता है अथवा कभी-कभी तापमान बढ जानेपर बुखार आ जाता है, बुखार आना यह संकेत होता है की शरीर के अंदर वह किटाणुओ से लड रहा है जो शरीर को आगे जाकर नुकसान या हानि पहुंचा सकते है। आपने कभी-ना-कभी ध्यान दिया होगा कि बुखार जाने के कुछ समय पहले पसीना निकलता है यह बुखार का कार्य पुरा होने के बाद शरीर अपने पसीने की ग्रंथियो को शुरु कर देता है जिससे शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है। हमारे शरीर मे पसीने की ग्रंथिया की संख्या पच्चीस लाख या इससे ज्यादा होती है।

पसीना इन कारणो से भी आता है (ALSO THESE REASONS DO WE SWEAT)

गर्म खाना या मसालेदार खाने से
तनाव होनेपर
कसरत,जिम या योगा करनेपर
सिगरेट पीनेपर
दवा खाने पर
गर्मी या उमस मे (मौसम के कारण)


रविवार, 22 मार्च 2020

तोप का आविष्कार कहाँ और कब हुआ अथवा किसने किया था (WHO INVENTED CANNON AND WHEN,WHERE ITS MADE)(IN HINDI) - unique hindi post

तोप का आविष्कार कहाँ और कब हुआ अथवा किसने किया था (WHO INVENTED CANNON AND WHEN,WHERE ITS MADE)



तोप के बारे मे (ABOUT CANNONS)


तोप यह युद्ध करने के तरीके और युद्ध के मैदान मे बहुत ही घातक हथियार था और यह इतना शक्तिशाली इसे सबसे ज्यादा किले तोडने मे किया जाता था। तोप का गोला लोहे का होता था और तोप एक प्रकार की नली होती है मोटी-सी जिसमे पहले बारुद भारी मात्रा मे भरा जाता है और उसके बाद उसमे तोप का गोला डाला जाता है और तोप के आखरी हिस्से मे एक कपडा डाल के रखा जाता जिसमे बारुद लगाया जाता है(यह बारुद लगानेवाली प्रक्रिया सभी राजा अपने-अपने हिसाब से करते थे) और उस कपडे को आग लगाया जाता था जिससे वह आग बारुद तक पहुंच जाती थी और वह पुरे बारुद को तुरंत जलाकर एक विस्फोट पैदा कर दिया जाता था जिसके कारण गोने पर पुरा प्रभाव पडता था और वह तेजी से बाहर निकलता था और किले दीवारो को तोड देता था। आज तोप का आधुनिकीकरण बहुत ही उच्च स्तर पर हो गया है और यह आज किसी भी देश की सेना के लिए बहुत ही अहम हथियार है इसका सबसे घातक इस्तेमाल राजाओ ने किया लेकिन प्रथम विश्व युद्ध मे भी इसका उपयोग किया गया और बहुत क्षति पहुचाई गई। आज हम तोप का पुरा इतिहास देंखेंगे की इसकी खोज किसने की कब की और कैसे यह पुरे विश्व मे फैला।

तोप की खोज किसने की और कब (WHO INVENTED CANNONS AND WHOM INVENTED)

तोप का आविष्कार सबसे पहले चीन मे हुई जब चीनीओ ने बारुद का आविष्कार किया, बारुद का आविष्कार 9वी शताब्दी मे हुआ था। तोप यह चीनिओ ने 12वी शताब्दी मे खोज निकाला और यह 13-14 वी मे यह पुरे विश्व मे फैल गया। चीनीओ सबसे पहले बारुद का आविष्कार किया उसके बाद वह उसपर परीक्षण किया और शुरुआत मे उन्होने बारुद को एक लम्बे बांस मे डाला और उसके बाद उन्होने उसके अंदर कुछ पत्थर के टुकडे डाले और उसे उन्होने जलाया और उन्होने देखा की बारुद के जलने के बाद पत्थर बहुत तेजी से बाहर निकले और यहाँ से आरम्भ हुआ तोप के निर्माण का और इसी से प्रेरित होकर बाद मे राइफल बंदुक का निर्माण होनेवाला था। चीनीओ ने बारुद का उपयोग करके रॉकेट का निर्माण भी किया।

तोप विश्व मे कैसे फैला (HOW CANNONS GOES AROUND THE WORLD)

तोप का उपयोग चीन के लोगो ने युद्ध मे करना आरम्भ किया और जब चीन पर मंगोलो का आगमन हुआ फिर मंगोलो ने इसे युद्ध मे उपयोग किया। यह धीरे-धीरे पुरे विश्व मे फैलने लगा था, भारत पर जब मंगोलो ने उत्तर से आक्रमण किया तब भारत के उत्तर मे दिल्ली पर अलाहुद्दिन खिलजी का राज था तब मंगोलो ने उस युद्ध मे तोपो का उपयोग किया लेकिन युद्ध मे मंगोल हार गए थे लेकिन उन्होने भारत मे तोप जैसे हथियार से अवगत कराया। धीरे-धीरे तोप यह युद्ध के मैदान मे बहुत ही अहम हथियार साबित हुआ और शताब्दी दर शताब्दी इसे बेहतर किया जाता रहा।

बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

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