विश्व का सबसे बडा मंदिर कौन-सा है और कहाँ है ?
विश्व का सबसे बडा मंदिर कहाँ है ? (Where is World's Largest Temple)
विश्व का सबसे बडा मंदिर भारत मे नही है यह मंदिर भारत के बाहर है और इस मंदिर को 12वी शताब्दी मे निर्माण कराया गया था और यह मंदिर कम्बोडीया मे स्थित है और यह बडा होने के साथ-साथ सुंदर भी है अथवा इसके साथ-साथ यह एक विश्व धरोहर भी है। मंदिर का नाम "अंग्कोर वट(ANGKOR WAT)" है और कम्बोडिया(COMBODIA) देश के ध्वज के मध्य मे इस मंदिर को दर्शाया गया है अथवा इस मंदिर का चित्र ध्वज पर दर्शाया गया है। अंग्कोर वट मंदिर लगभग 402 ऐकड मे फैला हुआ है और इसके परिसर मे लगभग 1 हजार मंदिर है,अंग्कोर वट मंदिर वर्तमान समय मे बौद्ध धर्म को समर्पित है यह पहले एक हिंदु मंदिर था हम आपको इसके बारे मे आगे-आगे बताएंगे |
अंग्कोर वट मंदिर का प्राचीन इतिहास ( Ancient History Of ANGKOR WAT Temple
अंग्कोर वट मंदिर कम्बोडिया के सियाम्रेब के पास अंग्कोर मे स्थित है। अंग्कोर वट मंदिर को 12वी शताब्दी मे राजा सुर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनाया गया था उनका शासनकाल सन 1113-1150 तक था। अंग्कोर नगर यह शाही लोगो का केंद्र था जिसपर खमेर के राजाओ के एक राजवंश ने राज्य किया जो की इतिहास मे सबसे समृद्ध,परिष्कृत और सबसे बडे राज्यो मे से एक था। 9वी शताब्दी के अंत और 13वी शताब्दी के आरम्भ मे कई निर्माणकार्य और परियोजनाए की गई थी जिनमे से एक का उल्लेख अंग्कोर वट का किया गया था राजा सुर्यवर्मन द्वितीय ने इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया तथा इसमे उनके अवशेषो को भी जमा किया जाना था इस मंदिर का निर्माणकार्य तीन दशक तक चला था। इसके बाद सन 1177 मे चाम लोगो द्वारा जो की आधे भारतीय और आधे चीनी थे उन्होने इस मंदिर को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद राजा जयवर्मन ने यह निश्चय कर लिया की हिंदु देवी-देवीताओ द्वारा उन्हे विफल कर दिया गया है और जब उन्होने नई राजधानी अंग्कोर थोम बनाई तब उन्होने अंग्कोर वट मंदिर को बौद्ध धर्म को समर्पित कर दिया जिसके बाद यह एक बौद्ध तीर्थस्थल बन गया और मंदिर मे बनाई गई आकृतियो और नक्काशियो को बौद्ध कला से बदल दिया गया बौद्ध धर्म के पहले मंदिर मे हिंदु धर्म के भगवान शिव,ब्रह्मा और विष्णु की पुजा की जाती थी और मुख्य रुप से उन्हे ही समर्पित था। अंग्कोर वट मंदिर मे पांच स्तंभ थे जो मेरु पर्वत को दर्शाते है जो हिंदु मान्यताओ के अनुसार देवी-देवताओ का निवास है। मंदिर की दिवारे उच्चगुणवत्ता की आधाररहित मुर्तियो/स्तंभ से ढक हुइी है जिसमे हिंदु देवताओ और प्राचीन खमेर दृश्यो की आकृति के साथ-साथ महाभारत और रामायण के दृश्य दर्शाए गए है।
कुछ अधिक जानकारी(SOME MORE INFORMATION) :- 15वी शताब्दी मे अंग्कोर को अपने हालपर छोड दिया गया था जहाँ थेरवाड के बौद्ध भिक्षुओ ने अंग्कोर वट मंदिर की देखभाल करने का प्रयास किया लेकिन जल रिसाव और जल जमाव ने परिसर ने इसपर प्रभाव डाला जिसे बाद मे सरकार द्वारा वर्ष 1980 मे इसकी मरम्मत का कार्य आरम्भ किया गया और कुछ वस्तुओ को वापस बनाया गया और वर्ष 2004 मे यह खतरे के संकेत से बाहर माना गया और आज यह एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और उनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर मे सम्मिलित किया गया।
अंग्कोर वट मंदिर का प्राचीन इतिहास ( Ancient History Of ANGKOR WAT Temple
अंग्कोर वट मंदिर कम्बोडिया के सियाम्रेब के पास अंग्कोर मे स्थित है। अंग्कोर वट मंदिर को 12वी शताब्दी मे राजा सुर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनाया गया था उनका शासनकाल सन 1113-1150 तक था। अंग्कोर नगर यह शाही लोगो का केंद्र था जिसपर खमेर के राजाओ के एक राजवंश ने राज्य किया जो की इतिहास मे सबसे समृद्ध,परिष्कृत और सबसे बडे राज्यो मे से एक था। 9वी शताब्दी के अंत और 13वी शताब्दी के आरम्भ मे कई निर्माणकार्य और परियोजनाए की गई थी जिनमे से एक का उल्लेख अंग्कोर वट का किया गया था राजा सुर्यवर्मन द्वितीय ने इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया तथा इसमे उनके अवशेषो को भी जमा किया जाना था इस मंदिर का निर्माणकार्य तीन दशक तक चला था। इसके बाद सन 1177 मे चाम लोगो द्वारा जो की आधे भारतीय और आधे चीनी थे उन्होने इस मंदिर को बर्खास्त कर दिया जिसके बाद राजा जयवर्मन ने यह निश्चय कर लिया की हिंदु देवी-देवीताओ द्वारा उन्हे विफल कर दिया गया है और जब उन्होने नई राजधानी अंग्कोर थोम बनाई तब उन्होने अंग्कोर वट मंदिर को बौद्ध धर्म को समर्पित कर दिया जिसके बाद यह एक बौद्ध तीर्थस्थल बन गया और मंदिर मे बनाई गई आकृतियो और नक्काशियो को बौद्ध कला से बदल दिया गया बौद्ध धर्म के पहले मंदिर मे हिंदु धर्म के भगवान शिव,ब्रह्मा और विष्णु की पुजा की जाती थी और मुख्य रुप से उन्हे ही समर्पित था। अंग्कोर वट मंदिर मे पांच स्तंभ थे जो मेरु पर्वत को दर्शाते है जो हिंदु मान्यताओ के अनुसार देवी-देवताओ का निवास है। मंदिर की दिवारे उच्चगुणवत्ता की आधाररहित मुर्तियो/स्तंभ से ढक हुइी है जिसमे हिंदु देवताओ और प्राचीन खमेर दृश्यो की आकृति के साथ-साथ महाभारत और रामायण के दृश्य दर्शाए गए है।
कुछ अधिक जानकारी(SOME MORE INFORMATION) :- 15वी शताब्दी मे अंग्कोर को अपने हालपर छोड दिया गया था जहाँ थेरवाड के बौद्ध भिक्षुओ ने अंग्कोर वट मंदिर की देखभाल करने का प्रयास किया लेकिन जल रिसाव और जल जमाव ने परिसर ने इसपर प्रभाव डाला जिसे बाद मे सरकार द्वारा वर्ष 1980 मे इसकी मरम्मत का कार्य आरम्भ किया गया और कुछ वस्तुओ को वापस बनाया गया और वर्ष 2004 मे यह खतरे के संकेत से बाहर माना गया और आज यह एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और उनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर मे सम्मिलित किया गया।
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